Tuesday, January 8, 2013

हाँ मैंने देखा हैं



मैंने  टूटे  हुए  ख्वांबो  के
उजड़ते  हुए आशियानों से
उठ  रही  चंगारियो  को 
करीब  से  देखा  हैं

 कांपती हुई  उम्मीदों पे
जलती  हुई त्रिष्णगी से
बुझ  रहे  अरमानो  को
खुद में ही मरते देखा  हैं

 हाँ  मैंने  देखा  हैं
सपनो  को  रेत  की  तरह
पानी  की  ज़िन्दगी  में
बहते, घुलते और मिटते  भी
आंसुओं को खून की तरह
बहते,रुकते और थमते भी  
हाँ  मैंने  देखा  हैं

No comments:

Post a Comment