ममता, करुना की प्रतिमूर्ति
नारी को गौरव अब चाहिए
रुदिवादिता, आडम्बर को ठुकराकर
नारी सम्मानित होनी अब चाहिए
पुत्र की अंधी अभिलाषा ने
पुत्री को बोझ बनाया हैं
नारी ने खुद का मान गिराकर
नारी का अवमूल्यन करवाया हैं
नारी का अब मूल्य बढाकर
उसे अमूल्य बनवाना चाहिए
रुदिवादिता, आडम्बर को ठुकराकर
नारी सम्मानित होनी अब चाहिए
संत, महात्मा, और पगाम्बरो ने
नारी को हरदम ठुकराया हैं
नौ माह कोख में उसके पलके
फिर क्यों जीवन को अपनाया हैं
नारी की उत्थान की खातिर
धर्मग्रंथो को अब जलना चाहिए
रुदिवादिता, आडम्बर को ठुकराकर
नारी सम्मानित होनी अब चाहिए
पंडित, मोमिन, पादरियों ने
नारी को नरक बताया हैं
पाप, पुण्य के ठेकेदारों ने
उसका खुल के उपहास उड़ाया हैं
नारी का यह मन मर्दन
अब तो रुकना चाहिए
रुदिवादिता, आडम्बर को ठुकराकर
नारी सम्मानित होनी अब चाहिए
उठ, जाग, तोड़ दे बंधन को
खड्ग, कृपान संग दुःख क्रंदन को
देख , समझ, कर क्रांति तू
लड़ना तुझको अब चाहिए
पीड़ा को सहने की तो शक्ति
तुझसे ही पुरुषो को चाहिए
दिया जनम पौरुष को तुने
निर्बलता तेरी पहचान अब
फिर से नहीं बननी चाहिए
ममता, करुना की प्रतिमूर्ति
नारी को गौरव अब चाहिए
रुदिवादिता, आडम्बर को ठुकराकर
नारी सम्मानित होनी अब चाहिए
No comments:
Post a Comment