मेरी कविताये : मेरी सोच, एक कदम
Think, Grow & Change
Saturday, August 25, 2012
ज़िन्दगी
किताब में रखी हुई तस्वीरे
मुट्ठी में बंद तकदीरे
नहीं बदलती हैं रोने से
आस का एक दिया जलाकर
किसी एक को अपना बनाकर
फिर देखो जिंदगी
तुमसे भी मिलेगी मुस्कुराकर
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