मुल्क पे मरना तो हम भी चाहते थे
उनकी आरज़ू ने दीवाना हमे बना दिया
सरहद पे शहादत हम भी चाहते थे
उसकी एक नज़र ने घायल हमे बना दिया
मय में डूब कर मैं मैं न रहा
वतन पे मरने का सपना भी ना रहा
इरादतन कुछ भी नहीं था ,
पर मेरा इरादा उनको बना दिया
वो कहते हैं की हम खो गए कही
पर मेरी मंजिल उनको बना दिया
वतन पे मिटने का आखिरी मौका
हमने यूँ ही फिर से क्यूँ गवां दिया
अब सरफ़रोश ना बन सकंगे हम
और उसने आशिक हमे बना दिया
उनकी आरज़ू ने दीवाना हमे बना दिया
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